सायटिका (Sciatica): कारण, लक्षण, उपचार और बचाव

सायटिका क्या है?

सायटिका एक तरह का न्यूरोलॉजिकल दर्द है, जो कमर के निचले हिस्से से शुरू होकर जांघ, घुटने और पैर की एड़ी तक फैलता है। यह दर्द साइटिक नर्व में दबाव या सूजन आने के कारण होता है। सायटिक नर्व मानव शरीर की सबसे लंबी नस होती है, जो रीढ़ की हड्डी से निकलकर पैरों तक जाती है जिसको मॉडर्न साइंस में सायटिका कहते हैं आयुर्वेद में ग्रध्यसी रोग नाम से जाना जाता है

सायटिका के कारण

साइटिका होने के कई कारण हो सकते हैं। प्रमुख कारण इस प्रकार हैं –

हर्नियेटेड डिस्क – इसमें रीढ़ की हड्डी की डिस्क खिसकने पर नस पर दबाव पड़ता है।स्पॉन्डिलाइटिस–इसमें रीढ़ की हड्डियों में सूजन आना। स्लिप डिस्क– इसमें की हड्डी खिसकने पर नस दब जाती है।मसल्स स्ट्रेन – लंबे समय तक बैठने, भारी वजन उठाने या गलत तरीके से झुकने पर। ओस्टियोआर्थराइटिस– इससे जोड़ों की कमजोरी और हड्डियों में घिसाव। ट्यूमर या चोट – रीढ़ की हड्डी में चोट या ट्यूमर से भी नस पर दबाव बढ़ सकता है।

सायटिक के लक्षण

सायटिक रोग रोगी को रीढ़ की हड्डी के पास एक केंद्रीय स्थान नितंब से सायटिक नर्व निकलती है और वह पैर के निचले छोर एडी तक फैली होती है श्रोणि से बाहर निकलने के बाद सायटिका तंत्रिका के मार्ग में खिंचाव होने के कारण यह रोग देखने को मिलता है।

खाँसी, छींक, तनाव (जैसे, लंबे समय तक बैठे रहना, भारी वस्तुएँ उठाना) रीढ़ के अंदर दबाव बढ़ाते हैं और दर्द को बढ़ा देते हैं।कमर से पैर तक तेज या झनझनाहट वाला दर्द,बैठने पर दर्द बढ़ना और लेटने पर आराम मिलना।

सायटिका तंत्रिका को खींचने वाले व्यायामों से भी दर्द बढ़ जाता है, जैसे आगे की ओर झुकना या सायटिका परीक्षण के लिए सीधे पैर उठाना और लेसेग्यू के लक्षण जैसे परीक्षण में दर्द बढ़ जाता है

सायटिका का डायग्नोस्टिक

सायटिका रोग की जांच के लिए हम SLR- टेस्ट करा सकते हैं ,X-ray, करा सकते हैं और MRI करा सकते हैं MRI में हम LS- स्पाइन करते हैं

सायटिका के प्रिंसिपल ट्रीटमेंट क्या है

आयुर्वेद में हम सायटिका का कई प्रकार से चिकित्सा कर सकते हैं जैसे इसमें हम स्नेहन कर सकते हैं स्वेदन,विरेचन,सिरोविरेचन,बस्ती अग्निकर्म और शिरोधारा यह मुख्य रूप से चिकित्सा किए जाते हैं

एलोपैथिक उपचार पेन किलर और एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं,फिजियोथेरेपी और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज,जरूरत पड़ने पर इंजेक्शन या सर्जरी। आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उपचार

1- पंचकर्म चिकित्सा

जैसे कटीबस्ती-इसमें हम धन्वंतरम तेलम से,अभ्यंग-प्रसारिणी तेल से,नाड़ी स्वेद- दशमूल,निर्गुंडी,अर्क,सिंगरू कषाय या पत्र पिंड स्वेद कर सकते हैं, बस्ती में निरूह बस्ती- दशमूल कषाय,अनुवासन- प्रसारण तेल

शामन चिकित्सा

महावात विध्वंसक रस,रसराज रस, रसनाद रस, त्रयोदशांग गुग्गुल,सहचारदि कषाय, रास्नादी कषाय

सायटिका से बचाव

लंबे समय तक एक जगह न बैठें। सही पोश्चर में बैठने और चलने की आदत डालें। भारी वजन उठाने से बचें। नियमित योग और व्यायाम करें, हड्डियों और नसों को मजबूत रखने के लिए संतुलित आहार लें। योगासन – भुजंगासन, शलभासन, त्रिकोणासन लाभकारी होते हैं।

निष्कर्ष 

सायटिका एक सामान्य लेकिन बेहद परेशान करने वाली समस्या है, जिसमें कमर से लेकर पैर तक तेज दर्द फैलता है। सही समय पर उपचार और जीवनशैली में बदलाव करके इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। अगर दर्द लंबे समय तक बना रहे तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। बिना डॉक्टर के परामर्श के कोई भी दवा नहीं खाए, यदि ऐसा करते हैं तो इसके जिम्मेदार आप स्वयम है ।

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