गाउट कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार

गाउट कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार

गाउट क्या है?

गाउट (Gout) एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में यूरिक एसिड का स्तर अधिक हो जाता है, और उसके क्रिस्टल छोटे जोड़ों में जमकर सूजन (inflammation) पैदा करते हैं। सबसे पहले यह रोग पैर के अंगूठे (Great Toe) में दिखाई देता है और धीरे-धीरे अन्य जोड़ों तक फैल सकता है। आयुर्वेद में इसे वातरक्त कहा गया है। और एलोपथिक मे गाउट के नाम से जानते है

गाउट कई प्रकार के विकारों का वर्णन करता है, जिनमें शरीर में हाइपरयूरिसेमिक  द्रवों से बनने वाले मोनोसोडियम यूरेट मोनोहाइड्रेट क्रिस्टल शरीर मे  सूजन और दर्द का कारण बनते हैं। ये क्रिस्टल निम्न समस्याएँ उत्पन्न करते हैं: इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस ( जोड़ों में सूजन और दर्द ) टेनोसिनोवाइटिस  ( मांसपेशी के टेंडन और उसकी झिल्ली में सूजन ) बर्साइटिस ( जोड़ों के आसपास की जगहों में सूजन) सेलुलाइटिस ( लालिमा, सूजन और तरल पदार्थ के जमाव के साथ सूजन) यूरोलिथियासिस (गुर्दे की पथरी ) किडनी डिजीज ( गुर्दों की बीमारी)

यह रोग अधिकतर पुरुषों (16 वर्ष से ऊपर) में पाया जाता है और रजोनिवृत्ति (Menopause) से पहले महिलाओं में बहुत कम दिखाई देता है। 40 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में सूजन वाले जोड़ों की बीमारी (Inflammatory Joint Disease) का सबसे सामान्य कारण गाउट ही है।

गाउट के कारण (Causes)

यूरिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन (टमाटर, पत्ता गोभी, फूलगोभी)

अनुवांशिक कारण (परिवार में इतिहास)

मोटापा और जीवनशैली संबंधी कारण

गुर्दों द्वारा यूरिक एसिड का न निकल पाना

अत्यधिक मद्यपान और असंतुलित आहार

गाउट के लक्षण (Symptoms)

पैर के अंगूठे में लालिमा और सूजन

तेज जलन और अत्यधिक दर्द

बुखार और थकान

धीरे-धीरे कई जोड़ों में दर्द का फैलना

समय के साथ Tophi (गांठें) और किडनी स्टोन बनने का खतरा

डायग्नोसिस की मुख्य बातें (Essentials of Diagnosis)

रक्त में Hyperuricemia (अत्यधिक यूरिक एसिड) पाया जाता है।

रोग की शुरुआत अक्सर एक ही जोड़ से होती है (Acute Monarthritis)।

समय के साथ कई जोड़ों में दर्द और सूजन।

जोड़ के तरल (Joint Fluid) में यूरिक एसिड क्रिस्टल मिलना।

Tophi और गुर्दे की पथरी (Renal Stones) अतिरिक्त लक्षण के रूप में।

गाउट का आयुर्वेदिक उपचार (Principles of Treatment in Ayurveda)

  1. रक्तमोक्षण (Rakta Mokshana)

रोग की शुरुआत में, यदि वात अधिक न हो और शरीर दुर्बल न हो, तो रक्तमोक्षण (खून की अशुद्धि को बाहर निकालना) करना लाभकारी है।

चरक संहिता के अनुसार, जब वात का अत्यधिक प्रकोप हो तो रक्तमोक्षण नहीं करना चाहिए।

  1. वमन / विरेचन (Detox Therapies)

रक्तमोक्षण के बाद, वमन (उल्टी द्वारा शोधन), विरेचन (पेट शुद्धि) और बस्ती (औषधीय एनिमा) दी जाती है।

इससे शरीर से दोषों का शुद्धिकरण होता है।

  1. कृश (दुर्बल रोगी) हेतु

स्नेह विरेचन – एरंड तेल (Eranda Taila) द्वारा।

  1. स्थूल (Kapha Medavritha) रोगी हेतु

Ruksha Virechana – त्रिवृत, त्रिफला, द्राक्षा आदि से।

  1. तिक्तक क्षीर बस्ती (Tiktaka Ksheera Basti)

यह बस्ती मल मार्ग में रुकावट और वात को संतुलित करने के लिए दी जाती है।

आयुर्वेद मे वातरक्त 2 प्रकार के होते है 1- उत्तान 2- गंभीर

  1. उत्तान वातरक्त में

लेप (औषधीय पेस्ट), अभ्यंग (तेल मालिश), परिसेक (औषधीय जल से स्नान) और अवगाह (जड़ी-बूटियों से स्नान) उपयोगी हैं।

7-गंभीर वातरक्त (Gambhira Vatarakta) का आयुर्वेदिक उपचार

गंभीर वातरक्त (Gambhira Vatarakta) आयुर्वेद में वर्णित एक जटिल अवस्था है, जिसमें वात और रक्त दोष के साथ अन्य दोष भी सम्मिलित होकर गहन स्तर तक रोग का विस्तार करते हैं। इस अवस्था में रोगी को अत्यधिक दर्द, सूजन और गतिशीलता की समस्या का सामना करना पड़ता है। आयुर्वेदिक उपचार में पंचकर्म, शोधन और शमन चिकित्सा प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

दोषानुसार उपचार

  1. वात प्रधान वातरक्त

घृत (Ghritha), तैल (Taila), वसा, मज्जा युक्त औषधि सेवन

अभ्यंग (तेल मालिश), बस्ती (औषधीय एनिमा)

उपनाह (लेपन/पोल्टिस)

  1. पित्त एवं रक्त प्रधान वातरक्त

विरेचन (पाचन तंत्र शोधन)

घृत और दूध युक्त औषधि सेवन

परिसेक (औषधीय जल स्नान), बस्ती

शीतल निर्यापन

  1. कफ प्रधान वातरक्त

लेखन (शरीर से अतिरिक्त कफ व मेद हटाना)

कफ-मेद हर चिकित्सा

लंघन (उपवास व हल्का भोजन)

  1. कफ-वात प्रधान वातरक्त

शीत उपनाह (Cold Poultice) से परहेज

 पंचकर्म उपचार (Panchakarma Treatment)

स्नेहन – महातिक्त घृत (MTG), गुडूची घृत

स्वेदन – बाष्प स्वेदन (Steam therapy)

विरेचन – अविपत्तिकर चूर्ण 20–40 gm + नीम-अमृतादि एरंड तेल 20–40 ml

अभ्यंग – पिंड तेल, बलागुडुच्यादि तेल

निरूह बस्ती – पंचतिक्त क्षीर बस्ती (Avarana by Mala cases)

अनुवासन बस्ती- MTG/PTG

रक्तमोक्षण जोंक (Leech therapy) द्वारा

शमन चिकित्सा (Shamana Therapy)

प्रमुख औषधियां(Clinical Note)

Drug of Choice: गुडूची (Tinospora cordifolia)

Main Drugs: लांगली, कोकिलाक्ष, सुरंजन, चोपाचिनी, सारिवा

अनुपान (Vehicle): मधु, घृत, दूध और गर्म जल।

बाह्य उपचार: नियमित रूप से तेल मालिश + स्वेदन (स्टीम थैरेपी) सूजन और दर्द कम करने में सहायक

नैमित्तिक रसायन (Naimittika Rasayana)

गुड़ भल्लातक

अमृत भल्लातक

गुड़ हरितकी

रसायन चूर्ण

 आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खा (Ayurvedic Natural Home Remedy for Gout)

गुडूची (Tinospora cordifolia): 20 ml काढ़ा दिन में 3 बार शहद के साथ लें।

त्रिफला और गुडूची का चूर्ण मिलाकर सेवन।

ग्लोरियोसा सुपरबा (Gloriosa superba): 20 ml काढ़ा (गर्भवती महिलाओं में निषिद्ध)।

क्षीरबला तेल: दिन में 2 बार प्रभावित स्थान पर मालिश करें।

गाउट अक्सर बार-बार लौटकर आता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस रोग के लिए:

पाचन एंजाइमों (Agni / Digestive fire) को संतुलित करना,

जोड़ों में दर्द और सूजन को कम करना
मुख्य उपचार सिद्धांत हैं।

गाउट के घरेलू उपाय (Home Remedies for Gout)

हरीतकी (Terminalia chebula) और गिलोय (Tinospora cordifolia) का काढ़ा बनाकर नियमित सेवन करने से

यूरिक एसिड का स्तर नियंत्रित होता है,

पाचन सुधरता है,

और जोड़ो की सूजन व दर्द में राहत मिलती है।

Ingredients (What You Need):

गुडूची (Guduchi / Giloy / Indian Tinospora) – 10 ग्राम (fine powder)

शुण्ठी (Ginger powder / Dry ginger) – 10 ग्राम

यष्टिमधु (Yashtimadhu / Licorice) – 10 ग्राम

कटुकी (Katuki / Picrorhiza kurroa) – 10 ग्राम

शहद (Honey) – आवश्यक मात्रा (as per need, to make a paste)

 Preparation Method:

सभी औषधियों (गुडूची, शुण्ठी, यष्टिमधु और कटुकी) का सूक्ष्म चूर्ण (fine powder) लें।

इन्हें बराबर मात्रा (10-10 ग्राम) में लेकर अच्छी तरह मिलाएँ।

इस मिश्रण को हवा-रहित काँच की शीशी (airtight glass jar) में सुरक्षित रखें।

सेवन के समय 3–5 ग्राम (लगभग 1 चम्मच) मिश्रण लें।

इसमें आवश्यक मात्रा में शहद मिलाकर लेप/चटनी जैसी पेस्ट तैयार करें।

इसे भोजन के बाद दिन में 2 बार सेवन किया जा सकता है (सुबह और शाम)।

Benefits (लाभ):

गुडूची (Giloy): रक्त शुद्धिकरण, सूजन और दर्द निवारण।

शुण्ठी (Dry ginger): शक्तिशाली anti-inflammatory, जोड़ों के दर्द में राहत।

यष्टिमधु (Licorice): सूजन कम करता है और शरीर को शीतलता देता है।

कटुकी (Picrorhiza): यकृत (Liver) को मजबूत बनाता है और पाचन सुधारता है।

शहद (Honey): दवाओं को अवशोषित करने में सहायक और वात-पित्त को संतुलित करता है।

गाउट मे अन्य घरेलू उपचार 

चेरी (Cherries):

चेरी या चेरी का जूस गाउट अटैक की संभावना को घटाता है।

नींबू पानी (Lemon Water):

नींबू का रस पानी में मिलाकर लेने से शरीर का pH संतुलित होता है और यूरिक एसिड बाहर निकलने में मदद मिलती है।

मेथी के बीज (Fenugreek Seeds):

रातभर भिगोए हुए मेथी के बीज सुबह खाने से सूजन और दर्द कम होता है।

हल्दी (Turmeric):

हल्दी का दूध या हल्दी पाउडर का लेप सूजन और दर्द में राहत देता है।

पर्याप्त पानी (Adequate Water):

दिनभर में 8–10 गिलास पानी पीना ज़रूरी है ताकि यूरिक एसिड मूत्र के माध्यम से बाहर निकल सके।

  1. क्लासिकल फॉर्मुलेशन्स (Classical Formulations)

रस औषधियां

Talakeshwara Rasa

Rasamanikya

Sameerapannaga Rasa

Langalyadya Loha

Kamadugha Rasa

गुग्गुलु और लौह कल्प

Kaishora Guggulu

Amrita Guggulu

PTG (Panchatikta Ghrita Guggulu)

कषाय कल्प (Decoctions)

Kokilaksha Kashaya

Mahatiktaka Kashaya

Guggulu Tiktaka Kashaya

बाह्य उपचार (External Applications)

Pinda Taila

Bala Taila

Ksheerabala Taila

  1. प्रोप्राइटरी फॉर्मुलेशन्स (Proprietary Formulations)

Tab. Kokilaksha G

Tab. Amrita Guggulu

Tab. Flexofen MR (Prakriti)

Cap. Flexi

Cap. Rhumasil

गाउट (वातरक्त) के लिए आयुर्वेदिक आहार (Ayurvedic Diet for Gout)

गाउट रोग में आहार-विहार का विशेष महत्व है। आयुर्वेद में वातरक्त (गाउट) के लिए किन चीजों से परहेज़ करना चाहिए और किन्हें अपनाना चाहिए, इसके स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।

गाउट में आहार (Diet for Gout)

गाउट को नियंत्रित करने में संतुलित आहार का बहुत बड़ा महत्व है। सही डाइट न केवल यूरिक एसिड का स्तर घटाती है बल्कि बार-बार होने वाले गाउट अटैक से भी बचाती है।

गाउट में क्या न खाएँ (Foods to Avoid in Gout)

गाउट रोगियों को प्यूरिन (Purine) से भरपूर भोजन से परहेज़ करना चाहिए क्योंकि प्यूरिन शरीर में टूटकर यूरिक एसिड बनाता है।

शराब (Beer, अन्य अल्कोहलिक पेय)

मछली – Anchovies, Sardines, Fish roes, Herring

यीस्ट (Yeast)

अंग मांस (Organ meat) – लीवर, किडनी, स्वीटब्रेड्स

दालें (Legumes – सूखी बीन्स, मटर)

मीट एक्सट्रैक्ट, Consommé, Gravies

मशरूम (Mushrooms)

पालक (Spinach)

फूलगोभी (Cauliflower)

गाउट में क्या खाएँ (Foods to Have in Gout)

कम प्यूरिन युक्त आहार गाउट रोगियों के लिए लाभकारी है:

अनाज: चावल, पास्ता, मैकरोनी, सफेद ब्रेड, रिफाइंड अनाज

अंडा: सीमित मात्रा में

सूखे मेवे: नट्स और पीनट बटर (Limited)

डेयरी उत्पाद: स्किम्ड दूध, 1% दूध, फैट-फ्री चीज़ और आइसक्रीम

सूप: बिना मीट एक्सट्रैक्ट वाले सूप

सब्ज़ियाँ: उपरोक्त लिस्ट में न आने वाली सभी सब्ज़ियाँ

फल और जूस: सभी फल और ताज़ा जूस

पेय पदार्थ: सोडा, कॉफी, चाय, डार्क बेरीज़ का जूस

अन्य: चावल का पानी, हल्के अनाज का दलिया

निष्कर्ष

वातरक्त (GOUT) में रस औषधियां, गुग्गुलु, लौह कल्प, घृत और कषाय योग रोग की जड़ पर कार्य करते हैं। साथ ही, बाह्य उपचार जैसे तेल मालिश और स्वेदन तेज दर्द और सूजन से राहत दिलाते हैं। प्रोप्राइटरी फॉर्मुलेशन्स चिकित्सक की सलाह से दिए जा सकते हैं। कोई भी मेडिसन बिना डॉक्टर के सलाह  के न ले यदि आप बिना डॉक्टर के सलाह से लेते है तो आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।

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